अकलमंद हंस:
बहुत समय पहले की बात है एक बहुत ही विशाल पेड़ हुआ करता था। उसपर बहुत सारे हंस रहा करते थे उनमे से एक हंस बहुत ही चतुर और सयाना था वह बहुत ही बुद्धिमान और दूरदर्शी भी था सब उसका आदर करते थे और उसको ताऊ कहकर बुलाते थे।
हंस का सबको समझाना:
एक दिन की बात है हंस इधर उधर टहल रहा था तो उसने देखा की एक नन्ही सी बेल पेड़ के तने लिपटी हुयी है ताऊ हंस ने सबको बुलाकर कहा देखो इस बेल को नष्ट करदो नहीं तो ये बेल एक दिन हमारे लिए मुसीबत पैदा कर देगी तभी एक युवा हंस हस्ते हुये बोला ताऊ ये नन्ही सी बेल भला हाम्रा क्या बिगाड़ सकती है।
बुद्धिमान हंस ने समझाया की आज ये तुम्हें छोटी सी लग रही है लेकिन ये बेल धीरे धीरे पेड़ के सारे तने को लपेटा मारकर ऊपर तक जाएगी फिर इस बेल का तना मोटा होने लगेगा और पेड़ से चिपक जाएगा, तब नीचे से ऊपर पेड़ पर छड़ना आसान आसान हो जाएगा जिससे किसी भी शत्रु को पेड़ पर चढ़ने के लिए सीडियाँ मिल जाएगी।
बुद्धिमान हंस की बात ना मानना:
बुद्धिमान हंस की बात युवा हंस को समझ नहीं आई की ये छोटी सी बेल भला कैसे सीडी बन सकती है वहीं पर एक और हंस बोला ताऊ तू तो एक छोटी सी बेल से डर गया, एक और हंस बोला की ये ताऊ की अपना दबदबा काम करने के लिए कहानियाँ बना रहा है।
इस प्रकार किसी ने भी उस बूढ़े हंस की बात नहीं सुनी और कोई भी बात गंभीरता से नहीं ली।
बेल का बड़ा होना:
समय बीतता रहा वही वो नन्ही सी बेल लिपटते-लिपटते ऊपर की शाखाओं तक पहुँच गयी। बेल का ताना इतना होने शुरू हो गया और सचमुच ही पेड़ के ताने पर सीडी बन गयी। जिस पर आसानी से चड़ा जा सकता था. सभी हंसों को ताऊ की बात सच लगने लगी पर अब कुछ भी करना असंभव था क्यूंकी बेल इतनी मजबूत हो चुकी थी की अब उसे उखाड़ना हंसो के बस की बात नहीं थी।
शिकारी का आना:
एक दिन जब हंस दाना चुगने बाहर गए हुये थे तो एक शिकारी उधर आ गया शिकारी ने जब देखा की पेड़ के ऊपर चढ़ना बहुत आसान है तो शिकारी पेड़ के ऊपर चढ़ गया उर अपना जाल पेड़ के ऊपर बिछा दिया शाम को जब हंस लोटकर आए तो जैसे ही वो पेड़ पर बैठे वो सभी हंस जाल में फंस गए और फड़फड़ाने लगे हंसो ने जाल से निकलने की बहुत कोशिश की परंतु निकाल नहीं पाये।
हंसो का पछताना:
तब हंसों को ताऊ की बुद्धिमानी और दूरदर्शिता का पता चला सभी हंस ताऊ की बात ना मानने के लिए पछता रहे थे ताऊ सबसे रुष्ट था और चुप ही बैठा हुआ था एक हंस ने हिम्मत करके बूढ़े हंस से कहा की ताऊ हम मूर्ख हैं जो आपकी बात उस समय नहीं मानी आपकी बात मानी होती आपका मज़ाक ना उड़ाया होता तो आज हम इस मुसीबत में नहीं पड़ते।
फिर एक हंस ओर बोला ताऊ तुम बहुत समझदार हो शिकारी के आने से पहले हमे बच निकलने की तरकीब तुम ही बता सकते हो आगे से हम आपकी हर बात मानेंगे कोई भी बात को अनसुना नहीं करेंगे हमसे यूं मुंह मत फेरो ताऊ तब बूढ़ा हंस बोला की ध्यान से सुनो सुबह जब शिकारी आएगा तब तुम सब मुर्दा होने का नाटक करना।
इससे बहेलिया तुम सबको मारा हुआ समझ कर जाल से निकालकर नीचे फैक देगा जब तक अंतिम हंस के छूटने तक सभी ऐसे ही नाटक करते रहेंगे जब अंतिम हंस छूट जाएगा तब मैं सिटी बजाऊँगा और सब ऊढ़ जाना।
सुबह को जब शिकारी आया तो सभी हंसो ने ऐसा ही किया शिकारी उनको मुर्दा समझ कर जाल से निकालकर बाहर निकालता चला गया जब ताऊ ने सिटी बजाई तो सब हंस उड़कर चले गए सभी जब एक सुरक्शित स्थान पर पहुंचे तो उन्होने ताऊ का धनयाबाद किया।
सीख- इस कहानी से हमें सीख मिलती है की कभी भी बड़ों की बात बिना सोचे समझे नहीं टालनी चाहिए वरना कई बार लेने के देने भी पद सकते हैं।