एकता में बल कहानी
बहुत स्मी पहले की बात है कबूतरों का एक झुंड आसमान में भोजन की तलाश में उड़ता हुआ जा रहा था। वो झुंड गलती से एक ऐसे परदेश के ऊपर से गुजरा जहां पर भयंकर अकाल पड़ा हुआ था। उनको वहाँ खाने को कुछ नहीं दिख रहा था कबूतरों का मुखिया चिंतित था की कबूतरों की शरीर की शक्ति समाप्त होती जा रही है और कहीं पर दूर दूर तक दाना पानी नहीं दिख रहा था शीघ्र ही दाना पानी मिलना जरूरी था।
कबूतरों को दाना नज़र आना:
कबूतरों के झुंड का एक युवा कबूतर सबसे नीचे उड़ रहा था भोजन नज़र आने पर उसे ही बाकी दल को सूचित करना था।बहुत समय तक उड़ने के बाद वह झुंड सूखा ग्रस्त क्षेत्र से बाहर निकाल आया अब उन्हे हरयाली नज़र आने लगी तो कबूतरों को भोजन मिलने की आस भी होने लगी। युवा कबूतर और नीचे की तरफ उड़ने लगा तभी उसे नीचे खेत में बहुत सारा दाना बिखरा नज़र आने लगा उस कबूतर ने सबको खबर की की नीचे बहुत सारा दाना बिखरा हुआ है।
तभी कबूतरों के मुखिया ने कबूतरों को नीचे उतर कर खेत में बिखरा हुआ दाना चुनने को कहा ये बात सुनते ही सभी भूखे कबूतर नीचे उतरे और दाना चुगने लगे लेकिन उन्हे इस बात का पता नहीं था की ये दाना वास्तव में पक्षियों को पकड़ने के लिए एक शिकारी ने बिछाया था।
कबूतरों का जाल में फसना:
कबूतर जब दाना चुग रहे थे तो ऊपर एक पेड़ का ताना था जैस्पर जाल बंधा हुआ था वो आकार कबूतरों के ऊपर आ गिरा सारे कबूतर उस जाल में फंस चुके थे तभी कबूतरों का मुखिया बोला हमसे तो बहुत बड़ी गलती हो गयी भूख ने मेरा भी दिमाग खराब कर दिया था जो बिना सोचे समझे हम दान चुगने आ गए मूझे सोच्ण चाहिए था की इतना सारा दाना यहाँ आया कैसे।
एक कबूतर रोने लगा की अब तो शिकारी हमे पकड़ कर मार डालेगा या पिंजरे में बंद करदेगा सभी कबूतर अब हार मान चुके थे उन्होने जाल से निकालने की कोशिश भी की पर असफल रहे अब कबूतर मान चुके थे की उनका छूटना अब मुमकिन नहीं है।
अक़्लमंद मुखिया:
जहां पर सभी कबूतर हार मान चुके थे वहीं पर कबूतरों का सरदार गहरी सोच में डूबा हुआ था। तभी मुखिया कबूतर बोला की सुनो जाल बहुत मजबूत है ये ठीक है, पर इस जाल में इतनी शक्ति नहीं है की एकता की शक्ति को हरा सके हम सभी मौत के मुंह में तो पाहुच ही चुके हैं अगर हम सभी कोशिश करेंगे तो इससे बाहर भी आ सकते हैं।
तभी एक युवा कबूतर बोला की साफ साफ बताओ की तुम कहना क्या चाहते हो जाल ने हमे जकड़ रखा है हम शक्ति कैसे जोड़ें, मुखिया बोला की तुम सभी चोंच से जाल को पकड़ो फिर जब मैं कहूँ तो एक साथ ज़ोर लगाकर उड़ना।
कबूतरों का जाल समेत उड़ना:
सभी कबूतरों ने मुखिया की बात मानी और ऐसा ही किया तभी उन्हे दूर से शिकारी आता दिखा जाल में फंसे कबूतर देखकर शिकारी भी खुश हो गया शिकारी डंडा लेकर जाल की और दौडा।
शिकारी को देखकर मुखिया ने इशारा किया और सभी कबूतरों ने ज़ोर लगाया और जाल समेत उड़ गए जाल समेत उड़ते कबूतरों को देखकर शिकारी भी हैरान रेह गया और पछताने लगा की जाल भी गया और कबूतर भी चले गए। शिकारी जाल के पीछे दौड़ने लगा कबूतरों ने देखा की शिकारी हमारा पीछा कर रहा है ऐसे तो हम जायदा देर उड़ नहीं सकते शिकारी हमे पकड़ लेगा।
चूहे ने की कबूतरों की मदद:
तभी मुखिया ने सभी कबूतरों को एक पहाड़ी की और इशारा करके चलने को कहाँ वहाँ पर एक चूहा रेहता था चूहा मुखिया कबूतर का मित्र था कबूर जैसे तैसे पहाड़ी पर पहुंचे मुखिया चूहे को पुकारने लगा तभी वहाँ चूहा आ गया मुखिया ने चूहे से मदद मांगी चूहा भी भला था उसने मदद में बिलकुल भी देर नहीं की और जाल को अपने तेजदार दांतों से कुतर दिया अब सभी कबूतर जाल से आज़ाद हो चुके थे सभी ने चूहे का धनयाबाद किया और वहाँ से खुशी खुशी उड़ गए।
शिक्षा- इस कहानी से हमे शिक्षा मिलती है की अगर एकता में बल हो तो कुछ भी नामुमकिन नहीं सबकुछ मुमकिन हो सकता है।